
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने समाजवादी पार्टी को निशाने पर लेते हुए तीखे आरोप लगाए हैं. एक के बाद एक किए गए ट्वीट्स में मायावती ने सपा को दलित विरोधी बताया और कहा कि कांग्रेस व भाजपा की तरह सपा ने भी कभी बहुजन समाज के कल्याण की सच्ची नीयत नहीं दिखाई.
मायावती ने लिखा, “कांग्रेस, भाजपा आदि की तरह सपा भी बहुजन समाज के खासकर दलितों को संवैधानिक हक देने, कल्याण व उत्थान की दिशा में ईमानदार नहीं रही. उनकी गरीबी, जातिवादी शोषण व अत्याचारों को खत्म करने की कोई इच्छाशक्ति सपा में नहीं रही है.”
मायावती ने सपा पर विश्वासघात करने का लगाया आरोप
उन्होंने सपा पर बीएसपी के साथ विश्वासघात करने और 2 जून को पार्टी नेतृत्व पर जानलेवा हमले का आरोप भी दोहराया. इसके साथ ही प्रमोशन में आरक्षण के बिल को संसद में फाड़ना, महापुरुषों के नाम पर बने जिलों, पार्कों और मेडिकल कॉलेजों का नाम बदलना जैसे निर्णयों को “घोर जातिवादी कृत्य” बताया, जिसे माफ नहीं किया जा सकता.
मायावती ने यह भी कहा कि बसपा ने अपने प्रयासों से जातिवादी व्यवस्था को खत्म करने की दिशा में ठोस काम किया और समाज में भाईचारा स्थापित करने में काफी हद तक सफलता पाई है. लेकिन सपा ने अपने “संकुचित राजनीतिक स्वार्थ” की पूर्ति के लिए बसपा के इस मिशन को कमजोर करने का प्रयास किया है. उन्होंने बहुजन समाज के लोगों को “सावधान रहने” की सलाह भी दी.
सपा की नीतियां कभी भी दलित हितैषी नही-मायावती
मायावती ने चौथे ट्वीट में यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस और भाजपा की तरह सपा भी अपनी नीतियों व रवैये के कारण कभी भी दलितों के हितैषी नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि ये पार्टियां सिर्फ वोट की खातिर छलावा करती हैं, जबकि बीएसपी बहुजन समाज को शासक वर्ग बनाने के लिए पूरी तरह समर्पित है और संघर्षरत है.
मायावती के इस तीखे हमले को आगामी चुनावों से पहले सपा और बसपा के बीच जारी सियासी खींचतान के रूप में देखा जा रहा है. उनके बयान बहुजन समाज के वोट बैंक को लेकर सपा के “पीडीए” के नारे में “डी” को लेकर चल रही सेंधमारी के प्रयास के बीच दिए गए हैं.